How to prepare for examination to be top? परीक्षा में टॉप करने के लिए तैयारी कैसे करें ?
How to prepare for examination to be top/ परीक्षा में टॉप करने के लिए तैयारी कैसे करें ?
नमस्कार ! आज मैं आपको परीक्षा में टॉप करने के लिए कैसे तैयारी करना चाहिए इसके विषय में बताऊंगा।
परीक्षा में टॉप रैंक लाने के लिए अच्छी पढ़ाई और कड़ी मेहनत के साथ-साथ एक अच्छी योजना की आवश्यकता होती है। तब जाकर मेहनत के अनुरूप सफलता प्राप्त होती है। अक्सर आपको लगता होगा की आप जितना मेहनत करते हैं उसके अनुरूप आपका परिणाम अर्थात रिजल्ट नहीं आता है। क्या आप जानते हैं इसका मूल कारण क्या है? इसका मूल कारण है एक अच्छी योजना की कमी। तो चलिए परीक्षा में टॉप करने के लिए एक अच्छी योजना कैसे बनाएं इसके विषय में बात करते हैं।
How to make a good plan to top in the examination ?
परीक्षा में टॉप करने के लिए एक अच्छी योजना कैसे बनाएं ?
अब हम आपको बताते हैं परीक्षा में टॉप करने के लिए आपको योजना कैसे बनाना है ?
सबसे पहले आपको अपनी पठन-पाठन की पूरी प्रक्रिया को दो भागों में बांटना है;
1. Study - अध्ययन
2. Planning - तैयारी
How to study to be top in examination ?
परीक्षा में टॉप करने के लिए अध्ययन कैसे करें ?
Study (अध्ययन) - अध्ययन की शुरुआत करने से पहले आपको सभी विषयों को तीन भागों में बांटना है। यह विभाजन आपके विभिन्न विषयों में आपके ज्ञान के आधार पर करनाा है ना की केवल पिछली कक्षा में प्राप्त अंक के आधार पर। क्योंकि कभी-कभी कम परिश्रम करने पर भी अच्छे अंंक प्राप्त हो जाते हैं। लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि आपको उस विषय में अच्छा ज्ञान भी हो गया। अतः आपको अपनेेे ज्ञान के आधार पर सभी विषयों को तीन भाग मेंं बांटना है।
A. Good - अच्छा
B. Average - औसत
C. Weak - कमजोर
A. Good (अच्छा) - इस भाग में आपको ऐसे विषयोंं को रखना है जिसमें आपको अच्छी जानकारी है तथा जो विषय आपको रुचिकर लगती है।
B. Average (औसत) - इस भाग में आपको ऐसे विषयों को रखना है जिसमें आपको ना तो बहुत ज्यादा जानकारी हो और ना ही बहुत कम अर्थात जिसमेंं सामान्य जानकारी हो और रूचि भी सामान्य हो।
C. Weak (कमजोर) - कमजोर वाले इस भाग में आपको ऐसे विषयोंं को रखना है जिसमें आपकी जानकारी बेहद कम है और रूचि भी कम है।
अब प्रश्न उठता है कि हमें करना क्या चाहिए जिससे परीक्षा में टॉप कर सकें।
What to do to be top in the examination? / परीक्षा में टॉप करने के लिए क्या करना चाहिए ?
अब हमें ऊपर बांटे गए तीन श्रेणियों A,B,C पर काम करना है। अब जब भी हमें पढ़ने बैठना है तो सबसे पहले भाग-C की पुस्तकों को लेना है। और उसमें से छोटे-छोटे और आसान लगने वाले प्रश्नों या सवालों को पहले हल करना है। ध्यान रहे भाग-C की पुस्तकें आपके लिए रुचिकर भी नहीं है और आप इसमें बेहद कमजोर भी हैं इसीलिए पढ़ने वक्त सबसे पहले इन पुस्तकों को पढ़ना चाहिए क्योंकि जब हम पढ़ने बैठते हैं अर्थात पढ़ाई की शुरुआत करते हैं तो हमारे अंदर एक नई और ताजी ऊर्जा होती है जिससे हम मुश्किल चीजों को भी कम मेहनत में ग्रहण कर सकते हैं लेकिन अक्सर देखा जाता है कि बच्चे अरुचिकर अर्थात कठिन विषयों को बाद में पढ़ते जिसके कारण वह और भी मुश्किल और उबाऊ हो जाता है क्योंकि अंत में मन-मस्तिष्क थका होता है और पढ़ने की इच्छा भी नहीं होती है। यहां यह भी ध्यान रखना है की शुरुआत में हमें आसान और छोटे प्रश्नों को लेना है तथा धीरे-धरे कठिन प्रश्नों की ओर बढ़ना है इससे उस विषय में आपकी जानकारी भी बढ़ेगी और रूचि भी जिससे कठिन प्रश्न भी आपको आसानी से याद अथवा हल होने लगेंगे। इस तरह पढ़ाई के दूसरे भाग में भाग B के विषयों को लेना है तथा उसके बाद भाग A के विषयों की पढ़ाई करनी है।
लक्ष्य का निर्धारण क्यों जरूरी है? तथा लक्ष्य का निर्धारण कैसे करें?
लक्ष्य का निर्धारण आपको प्रतिदिन करना है ऐसा नहीं है कि केवल एक लक्ष टॉप करना बना ले और बस हो गया। आपको प्रतिदिन पढ़ाई करने से पूर्व एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा। सभी विषयों में पढ़ाई करने से पूर्व एक टारगेट तय कर लेना है की आज हमें कितने प्रश्नों का हल करना है या कितने प्रश्नों को याद करना है। जब आप कार्य करने से पूर्व एक लक्ष्य निर्धारित कर देते हैं तो आपका ध्यान हमेशा उस लक्ष्य की ओर केंद्रित होता है जिससे आपके अंदर एकाग्रता बनी रहती है, बिल्कुल अर्जुन की तरह।
पांडवों की शिक्षा के दौरान जब द्रोणाचार्य ने सभी राजकुमारों से वृक्ष पर बैठे एक चिड़िया के आंख पर निशाना लगाने को कहा तो उन्होंने निशाना लगाते वक्त सभी राजकुमारों से पूछा की उसे क्या दिखाई दे रहा है। तो सभी राजकुमारों ने अलग-अलग उत्तर दिया किसी ने कहा कि उसे चिड़िया दिखाई दे रहा है तो किसी ने कहा कि वृक्ष, चिड़िया, पत्तीयां, डालियां इसी तरह आदि आदि। लेकिन जब गुरु द्रोण ने अर्जुन से पूछा कि उसे क्या दिखाई दे रहा है तो अर्जुन ने उत्तर दिया कि उसे केवल पक्षी की आंख दिखाई दे रही है। इस तरह अर्जुन अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सका जबकि बाकी सभी राजकुमार असफल हो गए। कारण बस एक था की अर्जुन का ध्यान केवल अपने लक्ष्य की ओर केंद्रित था क्योंकि उसने एक संकल्प के साथ लक्ष्य को निर्धारित कर रखा था इसलिए उसे लक्ष्य के अलावा और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। जबकि अन्य राजकुमारों के लक्ष्य में संकल्प का अभाव था इसलिए उनकी एकाग्रता अपने लक्ष्य पर केंद्रित नहीं रह सकी।
अतः आपको भी प्रतिदिन एक संकल्प के साथ लक्ष्य का निर्धारण करना है और उसे प्राप्त करने में लग जाना है। यह आवश्यक नहीं कि प्रतिदिन आपको सफलता मिल ही जाए परंतु आप जो भी प्राप्त करेंगे वह आपके मुख्य लक्ष्य के लिए एक संजीवनी का काम करेगा। इस तरह आप कुछ ही दिनों में अपने अंदर आत्मविशस की एक नई उर्जा महसूस करने लगेंगे जो आपके मुख्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक है।
How important is self study to be top ? / टॉप करने के लिए स्वाध्याय कितना महत्वपूर्ण है ?
टॉप करने के लिए स्वाध्याय बहुत आवश्यक होता है। स्वाध्याय से ना केवल आपके अंदर ज्ञान बढ़ेगा बल्कि आपका आत्मविश्वास भी बढेगा। सामान्य तौर पर बच्चे स्कूल या विभिन्न कोचिंग संस्थानों में लिखे गए प्रश्न अथवा सॉल्यूशन को हूबहू याद कर लेते हैं और परीक्षा में लिख आते हैं। जिससे आपका प्रश्न यूनिक नहीं होता है और टॉप वही कर सकता है जो यूनिक होता है अर्थात आपको स्वाध्याय के माध्यम से अपने सभी सवालों या प्रश्नों का एक ही यूनिक उत्तर और हल तैयार करना है जो आपको टॉप करने में सहायक होगा। आपको अपने स्वाध्याय में एक निरंतरता लानी होगी तभी आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। क्योंकि किसी कोचिंग संस्थान अथवा स्कूल से ज्यादा आपका निरंतर स्वाध्याय टॉप करने के लिए आवश्यक है।
आपने एकलव्य के बारे में अवश्य सुना होगा। एकलव्य केवल अपने स्वाध्याय से अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक पाने का सबसे अच्छा उदाहरण है। एकलव्य बिना किसी गुरु के मार्गदर्शन के केवल निरंतर अभ्यास और स्वाध्याय के बल पर एक महान धनुर्धर बन सका। जिसके कारण आज भी जब भी स्वाध्याय की बात आती है तो लोग उनकी ही उपमा देते हैं। अर्थात निरंतरता और स्वाध्याय से हम सब कुछ हासिल कर सकते हैं। आपने अवश्य सुना होगा;
'करत करत अभ्यास में, जड़मति होत सुजान,
रस्सी आवत जात ते, सिल पर परत निशान।'
कहने का तात्पर्य यह है कि कि आप स्वयं को कमजोर ना समझें। आप स्वयं को किसी से कम ना समझें। आप वह सब कर सकते हैं जो कोई दूसरा छात्र कर सकता है। बस लगन और निरंतरता जरूरी है। वैसे भी कहा जाता है;
'मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत'
आपको भी एक संकल्प के साथ अर्थात ठान कर चलना है जीत अवश्य आपकी होगी।
How important is writing to the top ?/ टॉप करने के लिए लिखना अर्थात लेखन कितना आवश्यक है ?
लेखन परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण हथियार है। वैसे भी कहा जाता है की 'first impression is the last impression'. अर्थात आवश्यक तो है। लेकिन जिन छात्रों का लिखावट बहुत अच्छा नहीं है अथवा जिनका राइटिंग स्पीड अर्थात लिखने की गति बहुत अच्छे नहीं है उन्हें भी घबराने की आवश्यकता नहीं है। आज आपको बताएंगे की अपने लिखावट के साथ-साथ लिखने की गति को कैसे सुधारना है।
How to improve writing and speed ?
लिखावट और लिखने की गति को कैसे सुधारना है?
सबसे पहले यदि आप की लिखावट सुंदर नहीं है तो उसमें आप सुधार लाने का प्रयास करें इसके लिए आपको ज्यादा से ज्यादा लिखना होगा। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा की केवल लेखन ही सुधारते रहे तो परीक्षा की तैयारी कैसे होगी। सवाल बिल्कुल सही है पर मैं आपको एक ऐसा तरीका बताने जा रहा हूं जिससे आप दोनों कर सकेंगे और अच्छे ढंग से कर सकेंगे। इसके लिए आपको लेखन को याद करने का एक माध्यम बनाना होगा मतलब जब भी आपको किसी प्रश्न-उत्तर को याद करना है तो आप उसे लिखकर याद करने का प्रयास करें इससे आपके लेखन में सुधार के साथ-साथ लिखने की गति भी सुधर जाएगी और परीक्षा के दृष्टिकोण से भी तैयारी होती रहेगी। सामान्य तौर पर देखा जाता है कि लेखन में सुधार के लिए जब भी बच्चे लिखते हैं तो एक या दो पेज अक्षर बनाकर लिखते हैं और दिन भर उसी पुराने अंदाज में जैसे तसे लिखते रहते हैं जिसके कारण बहुत समय तक प्रयास करने के बावजूद भी उन्हें सफलता नहीं मिलती है। इसीलिए आपको प्रयास करना है कि जब भी लिखें सुंदर अक्षर में लिखें इससे कुछ ही समय में आपके लिखावट में परिवर्तन दिखने लगेगा और आप अपने लक्ष्य की ओर धीरे धीरे बढ़ने लगेंगे।
अब हम परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नंबर दो planning अर्थात तैयारी की बात करेंगे।
How to plan to be top in the examination?
परीक्षा में टॉप करने के लिए योजना कैसे तैयार करें?
परीक्षा मूल रूप से दो माध्यमों से होती है;
1. Objective medium - objective exam
2. Subjective medium - subjective exam
How to prepare 100% objective questions ?
बहु वैकल्पिक प्रश्नों (objective questions) की 100% तैयारी कैसे करें ?
Objective प्रश्नों की तैयारी के लिए बारीकी से अध्ययन की आवश्यकता होती है। कुछ बच्चे केवल गेस पेपर अथवा गाइड से तैयारी करते हैं और सोचते हैं की उन्हें सफलता प्राप्त हो सकती है। पर ऐसा नहीं है आप गेस पेपर अथवा गाइड से तैयारी कर अच्छा अंक तो प्राप्त कर सकते हो पर टॉप नहीं हो सकते। क्योंकि यदि 1 या 2 प्रश्न भी छूट जाता है तो आप टॉप करने मैं पूरी तरीके से पिछड़ सकते हैं। इसीलिए आपको स्वाध्याय के दौरान सभी मुख्य बिंदुओं को अपने कॉपी पर लिखते जाना है। इससे objective प्रश्नों की 100% तैयारी होगी। यदि आप एक समूह बनाकर तैयारी करें तो यह और भी बेहतर होगा। सप्ताह में केवल 1 दिन हर रविवार को आप अपने समूह के साथ बैठे तथा एक दूसरे से अपने अपने द्वारा लिखे गए मुख्य मुख्य बिंदुओं से प्रश्न बनाकर पूछें। इससे यह होगा कि यदि आप से कोई बिंदु छूट भी गया होगा तो अपने समूह में एक दूसरे से पूछने का क्रम में वह बिंदु आपके ध्यान में आ जाएगा और 100% परीक्षा की तैयारी होगी। ऐसा देखा जाता है की objective प्रश्न जितनी जल्दी याद होते हैं बच्चे इतनी जल्दी भूल भी जाते हैं या फिर उनके मन में confusion रहता है। इसके लिए आपको सप्ताह में 1 दिन मिलने का और एक दूसरे से प्रश्न पूछने का क्रम परीक्षा तक बनाए रखना। यकीन रखिए 100% सफलता मिलेगी।
How to prepare 100% subjective questions?
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों की 100% तैयारी कैसे करें?
अधिकांशतः देखा जाता है कि बच्चे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न की तैयारी करने के लिए रटन विधि का सहारा लेते हैं। तथा स्कूल या कोचिंग में लिखाए गए प्रश्नों के उत्तर को रट लेते हैं और परीक्षा में हूबहू वही उत्तर लिख आते हैं। लेकिन टॉप करने के लिए आपको अपने अंदर प्रश्न के उत्तर स्वयं लिखने का कौशल विकसित करना होगा इससे आपका उत्तर सभी बच्चों से यूनिक अर्थात भिन्न होगा जिससे आपको अधिक अंक पाने में सहायता मिलेगी। जब आपको प्रश्न के उत्तर लिखने का कौशल आ जाएगा तो आपको रटन विधि पर आश्रित नहीं रहना होगा जो आपकी सफलता के लिए एक अनिवार्य कड़ी है।
परीक्षा की तैयारी में लेखन का विशेष महत्व है इसलिए सभी प्रश्नों के उत्तर को बार-बार लिखने का और सुंदर अक्षर में लिखने का तथा तेजी से लिखने का निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए। इससे आपके अंदर कोई संशय या संदेह नहीं रहेगा और आप पूरे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दे सकेंगे।
How to balance time according to marks?
अंक के आधार पर समय का संतुलन कैसे करें?
सामान्यतः देखा जाता है कि बच्चे अपनी रुचि के विषयों या अध्याय में सबसे अधिक समय व्यतीत करते हैं। पर अच्छा अंक लाने के लिए ऐसा करना उचित नहीं है। आपको यह ध्यान में रखना है की सभी विषयों की तैयारी संतुलित ढंग से हो। जिसके लिए आपको पहले ही योजना बना लेना है और उसके बाद हर विषय के उन अध्यायों की तैयारी विशेष ध्यान देकर करनी है जिससे ज्यादा अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं अथवा पूछे जाने की संभावना होती है। इस तरह हम परीक्षा के दृष्टिकोण से सभी मुख्य अध्यायों की तैयारी सबसे पहले पूरा कर लेंगे। उसके बाद अपेक्षाकृत कम अंक वाले अध्यायों की तैयारी करना है। इससे समय के साथ आप की तैयारी पूरी भी हो जाएगी और आपके अंदर हमेशा आत्मविश्वास बना रहेगा। परीक्षा का डर समाप्त हो जाएगा और आप परीक्षा में अपनी इच्छा अनुसार अंक प्राप्त कर सकेंगे।
अपने इस लेख में मैंने आपको परीक्षा से संबंधित सभी प्रश्नों का समाधान बताया है जो परीक्षा में टॉप करने, परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने, परीक्षा की तैयारी करने, लिखावट में सुधार लाने, लिखने की गति बढ़ाने आदि में सहायक होगा। यदि इसमें कोई भी से छूट गया हो तो कमेंट बॉक्स (comment box) में अवश्य लिखें मैं उसका भी समाधान बताऊंगा।
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